Pages

जुलाई 09, 2019

भारत में महिलाएं निकलवा रही हैं गर्भाशय?

भारत में महिलाएं निकलवा रही हैं गर्भाशय?


भारत देश में माहवारी लंबे समय से एक टैबू बना हुआ है, माहवारी में महिलाओं को अपवित्र माना जाता है और अभी भी उन्हें सामाजिक और धार्मिक आयोजनों से अलग रखा जाता है.
हाल के सालों में ये पुरातन विचारों को लगातार चुनौती दी जाती रही है, ख़ासकर शहरी पढ़ी लिखी महिलाओं की ओर से.


लेकिन ये दो घटनाएं इस बात की तस्दीक करती हैं कि माहवारी से संबंधित भारत की ये समस्या अभी भी जारी है.
महिलाओं की एक बड़ी संख्या, खासकर जो ग़रीब परिवारों से आती हैं और शिक्षित भी नहीं होती हैं, उनपर ऐसे विकल्प चुनने का दबाव डाला जाता है जो उनकी ज़िंदगी और सेहत पर लंबा और स्थायी असर डालने वाला होता है.


पहली घटना महाराष्ट्र की है जहां पिछले तीन साल में हज़ारों महिलाओं को गर्भाशय निकालने के लिए ऑपरेशन कराना पड़ा है. ये संख्या अच्छी खासी है. ऑपरेशन इसलिए कराना पड़ा ताकि उन्हें गन्ने के खेत में काम मिल सके.



हर साल सोलापुर, सांगली, उस्मानाबाद, बीड़ जैसे ज़िलों से दसियों हज़ार ग़रीब परिवार पलायन कर राज्य के संपन्न पश्चिमी इलाक़े में आते हैं जहां उन्हें गन्ने के खेतों में छह महीने के लिए काम मिलता है.
एक बार जब वो पहुंचते हैं, उसके बाद उनकी ज़िंदगी उन लालची ठेकेदारों के हाथ में होती है जो उनका शोषण करने का कोई मौका नहीं छोड़ते.

शिकार महिलाएं 30 से कम उम्र की 

गन्ना कटाई का काम कड़ी मेहनत वाला होता है, इसलिए वे महिलाओं को काम देने के प्रति उदासीन होते हैं और दूसरा कारण ये भी है कि माहवारी के दिनों में महिलाएं एक या दो दिनों के लिए काम पर नहीं आती हैं. अगर उनसे एक दिन का काम भी छूट जाए तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ता है.


काम की जगह पर उनके रहने के हालात बहुत बुरे हैं, परिवारों को खेत के पास बनी झोपड़ी या टेंटों में रहना पड़ता है, जहां कोई टॉयलेट नहीं होता और चूंकि कभी कभी रात में भी गन्ने की कटाई होती है तो उनके सोने उठने का भी कोई निश्चित समय नहीं होता है.

और जब महिलाएं माहवारी में होती हैं, ये उनके लिए और कठिन हो जाता है.


साफ़ सफ़ाई की बहुत अच्छी स्थिति न होने के कारण अधिकांश महिलाओं को संक्रमण हो जाता है. इन इलाकों में काम करने वाले समाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये महिलाएं डॉक्टर के पास जाती हैं तो वे लालची डॉक्टर ग़ैरज़रूरी ऑपरेशन करवाने के लिए कहते हैं, भले ही वो दिक्कत दवा से ठीक हो सकती हो.
इन इलाकों में अधिकांश महिलाओं की कम उम्र में ही शादी हो जाती है, इसलिए 20 से 30 साल की उम्र तक आते आते ये दो या तीन बच्चों की मां बन चुकी होती हैं.

चूंकि डॉक्टर उन्हें गर्भाशय निकलवाने के ऑपरेशन से जुड़ी समस्याओं के बारे में नहीं बताते इसलिए उनमें से अधिकांश महिलाएं मानती हैं कि गर्भाशय से छुटकारा पाना ही ठीक है.
इसकी वजह से इन इलाक़ों में अधिकांश गांव तो "गर्भाशय विहीन महिलाओं के गांव" में तब्दील हो गए हैं.


'बिन गर्भाशय वाली महिलाओं का गांव'

जब पिछले महीने महाराष्ट्र के विधानसभा में विधायक निलम गोरहे ने इस बारे में सवाल उठाया तो राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने स्वीकार किया कि बीते तीन साल में केवल बीड़ में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए हैं.


हालांकि उन्होंने कहा कि ये सारे मामले सिर्फ गन्ने के खेत में काम करने वाली महिलाओं से ही संबंधित नहीं है.
मंत्री ने कहा कि बहुत से मामलों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई थी. हर साल अक्टूबर से मार्च के बीच 80 प्रतिशत ग्रामीण गन्ने के खेतों में काम करने के लिए पलायन कर जाते हैं.
इस गांव में आधी महिलाएं ऐसी थीं जिनका गर्भाशय निकाला जा चुका था, इनमें अधिकांश 40 साल से कम उम्र की थीं और कुछ की उम्र 30 से भी कम थी.


कुछ ऐसी महिलाओं से भी हुई जिन्होंने बताया कि जबसे उनका ऑपरेशन हुआ है उनकी सेहत और बिगड़ गई है.
एक महिला ने बताया कि उसकी गर्दन, पीठ और घुटने में लागातर दर्द बना रहता है और जब वो सुबह उठती है तो उसके हाथ, पैर और चेहरे पर सूजन रहती है.



एक अन्य महिला ने लगातार चक्कर आने की शिकायत की और बताया कि वो थोड़ी दूर तक भी पैदल चलने में असमर्थ हो चुकी है.
इसके कारण वे दोनों अब खेतों में काम करने लायक बचे ही नहीं हैं.

कामकाजी महिलाओं में आई कमी


तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि वे गारमेंट वर्करों की सेहत पर वो निगरानी रखेगी.
ये ख़बरें ऐसे समय आई हैं जब पूरी दुनिया में इस बात की कोशिश हो रही है कि लैंगिक रूप से संवेदनशील नीतियां लागू की जाएं ताकि कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़े.

लेकिन ये चिंताजनक है कि भारत में नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी घटी है. साल 2005-06 के बीच जहां इनकी हिस्सेदारी 36% थी वहीं 2015-16 में ये घटकर 25.8% रह गई.


दोस्तों अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो हमे कमेंट करके जरूर बताये।

Go to sidebar and Please follow our blog for more important information 🙏
>Also you can choose your favorite language to read this blog 😎

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post

Home Remedies for Glowing Skin in Hindi

चेहरे पर चमक लाने के उपाय (Home remedies for Glowing skin) हल्दी का उपयोग - (Turmeric facepack) ह...